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20 February 2023 Dr. Swati Piramal and Mr. Manmohan Singh

Social Justice Day: एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य और भारत के कदम

मौजूदा समय में चल रहे अमृत काल में हमारा देश 2047 तक विकासशील बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। इस दौरान भारत में होने वालें जी-20 संवादों का विषय 'एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य' काफी प्रासंगिक है।

सामाजिक न्याय तब दिया जाता है जब विविधता का सम्मान होता है। तभी समानता मिलती है और सभी को समान अवसर भी। समानता लाने की कोई कसर नहीं छोड़ते हुए भारत लगातार न्याय को लेकर अपने व्यापक दृष्टिकोण का प्रदर्शन कर रहा है।

इस लेख को एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स कोलैबोरेटिव के प्रमुख मनमोहन सिंह ने लिखा है।

एक बेहतर शुरुआत

जी20 की कमान हमारे देश को मिलना और इसके साथ ही इसकी इंटीग्रेटेड थीम हमारे सामने एक व्यापक प्लेटफॉर्म पेश करती है। एक तरफ जहां विश्व नेता रचनात्मक संवादों में संलग्न हैं। वहीं दूसरी ओर भारत के लिए प्राथमिकताओं पर अपने सकारात्मक कार्यों को प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह विशेष रूप से दक्षिण विश्व के देशों के बीच आवश्यक बातचीत और कार्रवाई की ऐतिहासिक शुरुआत हो सकती है।

लगातार हो रहे हैं प्रयास

भारत सरकार उस आखिरी छोर तक परिवर्तन लाने का प्रयास कर रही है जहां सबसे अधिक वंचित और कमजोर लोग रहते हैं। उदाहरण के तौर पर 112 जिलों में एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम और 500 ब्लॉकों में हाल ही में लॉन्च किया गया एस्पिरेशनल ब्लॉक प्रोग्राम।

इसके साथ ही आदिवासी समुदायों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की स्थापना में वृद्धि के प्रयास किए जा रहे हैं। जनजातीय मामलों के मंत्रालय का बजट आवंटन भी काफी हद तक बढ़ा दिया गया है (190.01 प्रतिशत वृद्धि)। 2013-14 में यह 4295.94 करोड़ रुपए था, जो अब 2023-24 में 12461.88 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।

चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों को मिल रही है प्राथमिकता

यह देखना भी उत्साहजनक है कि सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा रही है। इस दिशा में कई हाइपर-लोकल एनजीओ और टाटा ट्रस्ट, पीरामल फाउंडेशन और अन्य फाउंडेशनों के साथ साझेदारी के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

अंतिम छोर पर रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी का लाभ उठाना सबसे क्रांतिकारी उपलब्धि रही है। आधार, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई), कोविन, हाल ही में लॉन्च किया गया आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (एबीएचए) और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर समावेशी विकास के उल्लेखनीय उदाहरण हैं जो जरूरतमंद लोगों तक पहुंच रहे हैं।

सीमित दायरे से बाहर निकलने का प्रयास

  • भारत सतत विकास लक्ष्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए बहुआयामी कदम उठा रहा है जिसका उद्देश्य हर जगह गरीबी को उसके सभी रूपों में समाप्त करना है। यह जानकर खुशी होती है कि बहुआयामी गरीबी (2022) पर यूएनडीपी की हालिया रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि भारत में 415 मिलियन लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।
  • सामाजिक न्याय की ओर ले जाने वाले समावेशी विकास पर ध्यान कई योजनाओं के कार्यान्वयन से स्पष्ट है जिसे नेल्सन मंडेला ने व्यक्त किया था, ''गरीबी पर काबू पाना दान से जुड़ा लक्ष्य नहीं है, यह न्याय पर आधारित कार्य है।'' भारत के गांवों और पंचायतों मेंऔर कुछ राज्यों द्वारा 'सरकार आपके द्वार' जैसी पहलों की शुरूआत के साथ सेवाओं के साथ-साथ शिकायत निवारण प्रणाली को वंचितों के दरवाजे तक लाने के लिए कदम उठाए गए हैं।
  • कई प्रमुख योजनाओं ने पहुंच सुनिश्चित करने और जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बहुत कुछ कवर किया है-महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, अंत्योदय योजना, ऐसी ही कुछ प्रमुख योजनाएं हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान न केवल समस्या का समाधान कर रहे हैं, बल्कि लोगों की मानसिकता भी बदल रहे हैं जो समानता और सामाजिक न्याय लाने के लिए महत्वपूर्ण है।

सामाजिक न्याय की दिशा में नवीन कदम

वंचित भौगोलिक क्षेत्रों में गरीबों के जीवन में प्रगति के लिए यह बेहद जरूरी है कि राज्य और केंद्र सरकार इस दिशा में निरंतर सर्वोच्च प्राथमिकता को बनाए रखें। पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तरों पर अंतिम छोर तक कन्वर्जेंस के लिए प्रभावी संरचनाओं, प्रक्रियाओं और क्षमताओं को स्थापित करने की आवश्यकता है। आकांक्षी जिलों में उत्साहजनक उदाहरण स्पष्ट हैं जहां एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स कोलैबोरेटिव, (पीरामल फाउंडेशन, नीती आयोग, राज्यों और जिला प्रशासनों के साथ साझेदारी में) नागरिक-केंद्रित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कन्वर्जेंस पर काम कर रहा है।

विकास को संचालित करने वाले कारक

निर्वाचित महिला पंचायत प्रतिनिधि और स्वयं सहायता समूह- आज देश में 1.4 मिलियन महिला निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधि हैं। यह संख्या दुनिया में सबसे अधिक है और पूरे भारत में 82 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह हैं। इनमें सामाजिक-आर्थिक विकास में गेम चेंजर होने की व्यापक क्षमता है। निर्वाचित महिला प्रतिनिधि अपने दैनिक कामकाज में अधिक दक्षता ला सकती हैं। जिला प्रशासन कई क्षेत्रों में कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए सामुदायिक महिला नेताओं की आवाज उठाने के लिए व्यवस्था स्थापित कर सकता है।

जिम्मेदारी लेना

यदि हमें अपनी रुकावटों को दूर करके सामाजिक व्यवस्था और विश्वास के निर्माण के लिए जटिलताओं को दूर करके 2047 तक विकासशील भारत बनाना है तो भारत को और अधिक प्लेटफार्मों, साझेदारी और बहु-क्षेत्रीय सहयोग को लगातार प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।

इस तरह वंचित तबकों तक तमाम सुविधाएं पहुंचाने का प्रयास करना होगा, जो कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के दर्शन के माध्यम से शुरू हो चुका है। कॉर्पाेरेट क्षेत्र पिछड़े क्षेत्रों में व्यापार की पुनर्कल्पना करके आर्थिक अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यूं भी 'एक जिला एक उत्पाद' और 'वोकल फॉर लोकल' आदि अभियानों के माध्यम से इस दिशा में अनुकूल माहौल बन ही चुका है। इससे न केवल अधिक नौकरियां पैदा होंगी, बल्कि यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था को और गति भी प्रदान कर सकेंगे।

हालांकि राज्य का अपने लोगों के प्रति एक उत्तरदायित्व है, पर साथ ही यह व्यक्तिगत उत्तरदायित्व और हमारी सामाजिक चेतना के पुनर्जागरण से जुड़ा विषय भी है, जहां हम में से प्रत्येक सेवा भाव की निस्वार्थ, स्थायी भावना के साथ यह देखने का संकल्प लेता है कि मैं क्या कर सकता हूं।

भारत - लोकतंत्र का रोल मॉडल

यह जी 20 वर्ष हमारे राष्ट्र को लोकतंत्र के रोल मॉडल के रूप में प्रदर्शित करने का एक अवसर भी है। एक ऐसा देश जिसमें समावेशी और विकसित समाज के साथ समानता, समृद्धि की दृष्टि है, जिसके मूल में मानव-केंद्रित दृष्टिकोण है। एक ऐसा भारत, जिसके बारे में रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था, 'जहां मन में कोई भय नहीं हो, और सिर ऊंचा हो, जहां ज्ञान पूरी तरह मुक्त हो - एक ऐसा भारत जो स्वतंत्रता का स्वर्ग है!' सामाजिक न्याय का एक वैश्विक मॉडल भी बने। आइए हम सब मिलकर अपनी आकांक्षाओं के भारत का निर्माण करें।

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(The writers are Dr. Swati Piramal and Mr. Manmohan Singh )

This article was first published on 20 February 2023, on Her Zindagi.com

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Health

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